रावण को भगवान राम ने नहीं बल्कि ढोंगी रामपाल ने मारा था, रामपाल के चेले का एक और और हास्यास्पद दावा

सनातन धर्म पर विधर्मियों के आघात लगातार जारी है। हालांकि सनातन का इतिहास रहा है इन विधर्मियों से संघर्ष कर के धर्म की रक्षा करने का और शायद यही कारण है कि हजारों वर्षों तक लगातार हमलों को सहकार भी विश्व की यह सबसे प्राचीन सभ्यता अपने मूल रूप में लगातार बनी हुई है।

लेकिन वर्तमान में सनातन को विधर्मियों के साथ साथ कुछ ऐसे सियारों के हमलों का भी सामना करना पद रहा है जो इसे अंदर ही अंदर खोखला बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सनातन की खाल में छुपे हुए ये सियार सनातन धर्म की मूल परंपराओं पर सवाल उठाकर तथाकथित स्वयंभू धर्मगुरुओं को ब्रह्मांड की अंतिम शक्ति और पता नही क्या क्या होने का दावा कर रहे हैं।

ऐसे ही एक सियार के बारे में हम एक सीरीज इस ब्लॉग पर चला रहे हैं जो सनातन के मूल इतिहास के झूठे होने का दावा करते हुए अपने कुकर्मी गुरु रामपाल को ना केवल परम पिता परमात्मा की जगह देने पर तुला हुआ है बल्कि भगवान राम के बारे में भी हास्यास्पद दावे कर रहा है।

ढोंगी तथाकथित धर्मगुरु रामपाल के इस चेले का नया दावा है कि त्रेता युग में रावण का वध भगवान श्रीराम ने नहीं बल्कि इसके गुरु रामपाल ने किया था। अपने वीडियोज़ में यह आदमी यहाँ तक दावा करता है कि भगवान राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम भी नहीं थे बल्कि इसका गुरु रामपाल असली मर्यादा पुरुषोत्तम है। गौरतलब है कि ये वही रामपाल है जो ना केवल अवैध गर्भपात सेंटर चलाने के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहा है बल्कि हत्या जैसे जघन्य अपराधों में भी सम्मिलित रहा है।

भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं थे, उन्होंने किसी मर्यादा का कोई पालन नहीं किया

सोशल मीडिया वेबसाईट फ़ेसबुक पर अपलोड किये अपने एक वीडियो में ढोंगी रामपाल का यह चेला दावा करता है कि दशरथ पुत्र भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं थे। उन्होंने किसी भी मर्यादा का पालन नहीं किया। रामपाल के किसी सत्संग का हवाला देते हुए यह आदमी इस तरह के निर्लज्जतापूर्ण दावे करते हुए कहता है कि इस गंदे लोक में आकर परमेश्वर के अलावा अन्य कोई भी मर्यादा का पालन नहीं कर सकता।

इसके अनुसार इस लोक में मर्यादा है ही नहीं। यहाँ जन्म से ही मर्यादा टूटनी शुरू हो जाती है। इसलिए एक मात्र मर्यादा पुरुषोत्तम, जो स्वप्न में भी कोई मर्यादा नहीं तोड़ सकते, जो सारी लीलाएं बखूबी निभाते हैं, वो केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहब हैं। इस व्यक्ति का दावा है कि वो परमात्मा कबीर साहब वर्तमान में रामपाल के रूप में धरती पर प्रकट हैं।

दशरथ पुत्र श्रीराम ने लड़ाई-झगड़े किये, मारपीट की और कुछ नहीं किया इस धरती पर

वीडियो में निर्लज्जता की पराकाष्ठा पर पहुंचते हुए यह आदमी दावा करता है कि भगवान राम ने इस धरती पर सिवाए लड़ाई झगड़े और मारपीट के कुछ नहीं किया। यह आदमी प्रश्न करता है कि भगवान राम ने इसके अलावा और क्या ही किया?

आगे वीडियो में यह आदमी दावा करता है कि भगवान राम ने अपनी पत्नी तक पर विश्वास नहीं किया। अपनी इज्जत के लिए और मान बड़ाई के लिए कि अयोध्या वासी मेरे ऊपर थू थू ना करें, कि इतने वर्षों तक रावण के पास रह चुकी पत्नी को राम ने स्वीकार कर लिया, भगवान राम ने अपनी स्वयं की पत्नी की भरे भक्त समाज के सामने अग्नि परीक्षा ली।

यह आदमी अशिष्टतापूर्ण भाषा का प्रयोग करते हुए कहता है कि जिस श्रीराम ने अपनी इज्जत रक्षा के लिए अपनी पत्नी तक कोई नहीं बख्शा, वो तुम्हारी दो रुपये की मोगरा अगरबत्ती लगाने से कैसे प्रसन्न हो जाएगा, कहाँ तुम्हारी इज्जत की रक्षा करेगा?

इसके हास्यास्पद और निहायती घटिया दावे यहीं खत्म नहीं होते। इसके अनुसार, “कहते है कि भगवान राम ने अपने पिता महाराज दशरथ के वचन को निभाने के लिए वनगमन किया, लेकिन उनके जाते समय राजा दशरथ पीछे से भी कह रहे थे कि बेटा मत जा, उसकी माँ कौशल्या भी चीख रही थी चिल्ला रही थी और माँ केकेयी भी अपना वचन वापस ले रही थी, अरे तो भैया वो बाद में क्या वचन नहीं था?”

वन जाने का असली कारण था श्रीराम का अपना कर्म भोगना

वीडियो में आगे यह निकृष्ट कहता है कि राम के वन जाने का असली कारण ये था कि उन्हे अपने कर्म भोगने थे। क्योंकि ये जितने भी अवतार है और ये ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ये सब जीव हैं। आप और हमारी तरह ये सामान्य प्राणी है, सामान्य इंसान है। ये कोई परमात्मा नहीं है बल्कि ये परमात्मा की आत्मा है।

इस आदमी के तथाकथित ज्ञान के अनुसार ये सब आत्माएं अपने कर्मफल के अनुसार विभिन्न पदवियों पर बैठी हैं। अपने कर्मफल के अनुसार ही ये आत्माएं कभी राम बनेंगी, कभी कृष्ण बनेंगी तो कभी इन्द्र अथवा ब्रह्मा, विष्णु, महेश बनेंगी।

भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ये हिंदुओं की गलतफहमी है

ढोंगी रामपाल के द्वारा भ्रमित यह व्यक्ति अपने उपरोक्त ज्ञान के आधार पर दावा करता है कि भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं थे। उनको मर्यादा पुरुषोत्तम मानना हिंदुओं की एक बहुत बड़ी गलतफहमी है। इसके अनुसार हिंदुओं की यह गलतफहमी तब तक दूर नहीं होगी जब तक कि वे ढोंगी रामपाल के तथाकथित अमृतवचन सत्संग सुनना शुरू नहीं करेंगे।

हिंदुओं को तो ये भी नहीं पता कि रावण का वध किसने किया था, रावण को मारने की औकात राम की नहीं थी

वीडियो में आगे घटियापने के उच्चतम स्टार पर पहुंचते हुए यह आदमी दावा करता है कि हिंदुओं को तो ये भी नहीं पता कि रावण का वध किसने किया था। रावण को मारने की औकात दशरथ पुत्र राम की नहीं थी। हिंदुओं को संबोधित करते हुए यह आदमी कहता है कि ये सारे तुम्हारे धर्मगुरु जो भगवान राम द्वारा रावण का वध करना बताते हैं, सारे भूल में बैठे हैं। रावण को मारने की औकात श्रीराम चंद्र जी में नहीं थी।

तो आखिर रावण को मारा किसने था

वीडियो में आगे यह आदमी खुलासा करता है कि आखिर रावण को मारा किसने था। कुकर्मी रामपाल के इस निर्लज्ज चेले के अनुसार भगवान राम रावण को मारते हुए दिखाई अवश्य दे रहे थे, लेकिन रावण को उन्होंने नहीं मारा।

इसके अनुसार रावण को कबीर परमात्मा ने मारा था। विभीषण द्वारा यह बताए हुए छः महीने हो चुके थे कि रावण की नाभी में अमृत कुंड है और इसकी नाभी को निशाना बनाए बिना यह नहीं मर सकता। विभीषण के ये बताने के बावजूद छः महीने तक राम निशाना लगाता रहा रावण की नाभी पर, लेकिन वो निशाना नहीं लगा पाया।

छः महीने बाद श्रीराम ने रो रोकर रामपाल परमात्मा से प्रार्थना की तब रावण मारा जा सका

इसके अनुसार जब भगवान राम रावण को मार नहीं पाए तो उन्होंने साइड में जाकर आंसुओं से रो रोकर परमात्मा से प्रार्थना की, कि ये तो बड़ा भयंकर राक्षस है जो मर ही नहीं रहा। राम ने आत्मा से रो रोकर कबीर परमात्मा से प्रार्थना की और राम की आत्मा की पुकार सुनकर कबीर परमात्मा सतगुरु रामपाल ने राम रूप बना के और रामचन्द्र जी कोई कहीं साइड में सैनिकों में खड़ा कर दिया, अदृश्य कर दिया, राम तो दिखाई भी नहीं दे रहा था और दशरथ पुत्र राम का रूप बना के उस कबीर परमात्मा रामपाल ने रावण की नाभी में एक ही बार में ठोक दिया था तीर।

इसके बाद यह आदमी ढोंगी रामपाल का एक वीडियो चलाता है जिसमे यह तथाकथित धर्मगुरु इसी तरह के हास्यास्पद दावे कर रहा है।

क्या करेगा राम तुम्हारे लिए जो राम राम की रट लगाते रहते हो

आगे यह आदमी और अधिक अशिष्टतापूर्ण भाषा का प्रयोग करते हुए कहता है कि क्या करेगा राम तुम्हारे लिए जो राम राम करते रहते हो। क्या कर दिया राम ने तुम्हारे लिए। वो राम जिसने युद्ध के बाद सीता को साथ ले जाने से मना कर दिया क्योंकि राम को यह लग रहा था कि सीता ने रावण से शारीरिक संबंध बना लिए। श्रीराम खुद अपनी पत्नी पर अविश्वास प्रकट कर रहे हैं। वाल्मीकि कृत रामायण में स्पष्ट लिखा है राम ने सीता का मुंह तक देखने से मना कर दिया था। सीता ने रो रोकर उनसे प्रार्थना की और जामवंत, सुग्रीव और अंगद आदि ने हाथ जोड़ जोड़कर राम को बोला कि एक बार सीता जी को साथ ले चलो, तब जाकर वे उन्हे अयोध्या लेकर आए थे। और अयोध्या में लाने से पहले भी उन्होंने सीता की अग्नि परीक्षा ली थी।

यह आदमी माता सीता कि सबके सामने अग्नि परीक्षा लेने पर भी सवाल खड़ा करता है और कहता है कि राम स्वयं अकेले में भी तो परीक्षा ले सकता था। लेकिन राम ने सारे अयोध्या वासियों के सामने अग्नि परीक्षा ली ताकि यह सिद्ध हो जाए कि सीता का रावण के साथ कोई भी शारीरिक संबंध नहीं था। यानि श्रीराम इतनी मान बड़ाई वाले थे कि अपनी इज्जत के लिए अपनी पत्नी को भी दांव पर लगा दिया। बताइए ये राम हैं, ये भगवान हैं?