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तस्वीर में दिख रही टेनिस खिलाड़ी मोनिका सेलेस है। आज शायद ही कोई मोनिका सेलेस को जानता हो, लेकिन 1980-90 के दशक में मोनिका एक ऐसी टेनिस खिलाड़ी के रूप में उभर कर सामने आई थी जिसने टेनिस की दुनिया में तूफान ला दिया था।
मोनिका का जन्म 2 दिसंबर 1973 को यूगोस्लाविया में हुआ था। उसने अपना सारा बचपन टेनिस खेलते हुए ही बिताया। उसने बहुत मेहनत की और धीरे धीरे टेनिस की दुनिया में प्रसिद्ध होने लगी। 1990 में सेलेस ने फ़्रेंच ओपन का खिताब जीता और ऐसा करने वाली वह सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी। उस समय मोनिका सिर्फ 16 साल की थी।
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Photo Source: telegraph.co.uk |
टेनिस के सबसे बड़े टूर्नामेंट ग्रैंड स्लैम में वह लगातार जीत रही थी। 56 मैचों में उसने 55 मैच जीते थे, यानी कि 98 प्रतिशत जीत। यह रिकॉर्ड इतना बेहतरीन था कि आज भी इस रिकॉर्ड के सामने रोजर फ़ेडरर और राफेल नडाल के रिकॉर्ड छोटे लगने लगेंगे।
मोनिका के करियर पर एक नजर:
सिर्फ 19 वर्ष की उम्र में मोनिका 8 ग्रैंड स्लैम जीत कर विश्व में नंबर एक की पोजिशन पर पहुंच चुकी थी। इसके अलावा 1991, 1992 और 1995 में वो दुनिया की नंबर एक महिला टेनिस खिलाड़ी रही।
मोनिका ने अपना पहला प्रोफेशनल टूर्नामेंट 1988 में खेला था। उस समय वह महज 14 वर्ष की थी। 1989 में ह्यूस्टन में मोनिका ने अपने करियर का पहला खिताब जीता और इसी साल फ़्रेंच ओपन के सेमीफाइनल तक पहुंची। हालांकि सेमीफाइनल में उसे तत्कालीन नंबर एक खिलाड़ी स्टेफ़ी ग्राफ से हार का सामना करना पड़ा था। तब मोनिका की विश्व रैंकिंग नंबर 6 रही।
स्टेफ़ी ग्राफ से अपनी हार का बदला मोनिका ने 1990 के फ़्रेंच ओपन के फाइनल में चुकाया। महज 16 साल की उम्र में फ़्रेंच ओपन का खिताब जीतकर मोनिका इतिहास रच चुकी थी। इस साल उसकी रैंकिंग विश्व में नंबर 2 हो गई।
1991 में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीतकर मोनिका ने साल का शानदार आगाज किया। मार्च आते आते वो स्टेफ़ी ग्राफ को पछाड़कर दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बन चुकी थी। इस साल उसने अपना फ़्रेंच ओपन का खिताब भी बरकरार रखा। हालांकि चोट के चलते मोनिका विंबलडन नहीं खेल पाई लेकिन यूएस ओपन जीतकर एक बार फिर मोनिका ने धमाकेदार वापसी की। यूएस ओपन में उसने मार्टिना नवरातिलोवा को हराया। इस तरह मोनिका 1991 में भी विश्व में नंबर एक की रैंकिंग पर बनी रही।
1992 में भी मोनिका ने अपने शानदार करियर का सिलसिला जारी रखा। उसने अपने फ़्रेंच, ऑस्ट्रेलियन और यूएस ओपन के खिताब बरकरार रखे हालांकि विंबलडन में उसे स्टेफ़ी ग्राफ से हार का सामना करना पड़ा।
1993 में भी मोनिका ने अपने फ़्रेंच, ऑस्ट्रेलियन और यूएस ओपन के खिताब बचाए रखे। ऑस्ट्रेलियन ओपन में स्टेफ़ी से अपनी पिछली हार का बदला भी चुकाया और खिताब अपने नाम किया। तीन साल के अंदर ही मोनिका टेनिस की दुनिया ने धमाल मचा कर करियर की बुलंदी पर पहुंच चुकी थी।
और फिर 30 अप्रैल का को मनहूस दिन:
आप ये जानकर हैरान होंगे कि इतना शानदार करियर रखने वाली मोनिका के साथ बाद में क्या हुआ।
ये दिन था 30 अप्रैल 1993। इसे शायद खेल जगत का सबसे शर्मनाक दिन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस दिन एक सनकी फैन ने मोनिका को ऐसा झटका दिया कि इस तत्कालीन नंबर 1 खिलाड़ी का करियर ही खत्म हो गया।
30 अप्रैल 1993 को हैम्बर्ग में मोनिका एक टेनिस मैच खेल रही थी। उनके सामने थी मेगडेलेना मलीवा। मोनिका इस मैच में 6-4, 4-3 से बढ़त बनाए हुए थी और जीत के बेहद करीब थी। तभी दर्शकों में से एक व्यक्ति भागता हुआ आया और मोनिका पर चाकू से हमला कर दिया। यह सनकी व्यक्ति था गुंटर पार्श। मोनिका को चाकू 1.5 सेंटीमीटर अंदर तक घोंपा गया था। इस हमले से लगी चोट के कारण मोनिका का करियर वहीं पर रुक गया। उसने अपनी खेल प्रतिभा को वहीं पर खो दिया।
आपको यकीन नहीं होगा कि हमलावर ने मोनिका पर हमला क्यों किया। दरअसल वह मोनिका को विश्व में पहली रैंक पर नहीं देखना चाहता था। हमलावर की पसंदीदा खिलाड़ी थी स्टेफ़ी ग्राफ, लेकिन मोनिका ने स्टेफ़ी ग्राफ को भी बेहतरीन तरीके से हरा दिया था। मोनिका के बेहतरीन खेल के कारण स्टेफ़ी ग्राफ पहले स्थान पर नहीं टिक सकी। हमलावर चाहता था कि किसी तरह से मोनिका का खेल बिगड़ जाए और स्टेफ़ी ग्राफ पहले स्थान पर आ जाए। इसलिए उसने एक बेहतरीन उभरते हुए सितारे के करियर को ग्रहण लगा दिया।
बाद में जो हमलावर चाहता था वैसा ही हुआ। स्टेफ़ी ग्राफ पहले स्थान पर आ गई और इस घटना के बाद मोनिका डिप्रेशन में चली गई। वह दो साल के बाद लौटी भी और एक ग्रैंड स्लैम खिताब भी जीता, लेकिन वह पहले जैसी मोनिका नहीं रही।
पार्श पर केस चला लेकिन मानसिक रूप से बीमार होने के कारण उसे सजा नहीं दी गई। जब मोनिका चोट से उभर रही थी तब वर्ल्ड टेनिस संगठन ने अन्य टेनिस खिलाड़ियों से दरख्वास्त की कि सम्मान के तौर पर विश्व का पहला रैंक मोनिका के लिए ही रखा जाए। लेकिन यह बात किसी भी अन्य टेनिस खिलाड़ी ने मंज़ूर नहीं की।
इस तरह टेनिस की दुनिया ने एक बेहतरीन सितारे को खो दिया:
हालांकि मोनिका ने 1995 में टेनिस में वापसी भी की और कैनेडियन ओपन जीतकर बता दिया कि उसके अंदर अभी भी टेनिस जिंदा है। इसके बाद मोनिका ने यूएस ओपन में भी जगह बनाई लेकिन वह स्टेफ़ी ग्राफ के खिलाफ फाइनल मैच हार गई। जनवरी 1996 में मोनिका ने चौथा ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता और यह मोनिका के करियर के आखिरी ग्रैंड स्लैम खिताब भी साबित हुआ। मोनिका के नाम पर एक ओलंपिक मेडल भी है। 2000 के सिडनी ओलंपिक में मोनिका ने सिंगल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
आज मोनिका टेनिस हॉल ऑफ फेम में शामिल है।