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मेरी बदनसीबी कुछ इस तरह मेरे पीछे पड़ी थी
जब मैंने खोला दरवाजा तो वो चौखट पे खड़ी थी।
ये पंक्तियां साराह बर्टमैन (Sarah Bartmann) पर सटीक बैठती हैं। वो साराह बर्टमैन जो संभवतः दुनिया की सबसे बदनसीब महिला थी। साराह की बदनसीबी का आलम ये था कि उसकी मौत के 192 साल तक उसे कफ़न नसीब नहीं हुआ।
साराह बर्टमैन का जन्म साल 1789 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी केप राज्य में एक गरीब परिवार में हुआ था। जन्म के कुछ समय बाद ही बदनसीबी ने साराह को अपने चंगुल में फंसा लिया। मात्र 2 साल की उम्र में ही साराह की मां का देहांत हो गया और 4 साल की उम्र में पिता भी चल बसे। साराह अब पूरी तरह अकेली हो गई थी। उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा।
प्रकृति ने ही किया पहला मज़ाक:
जैसे जैसे साराह बडी होती गई उसका शरीर बेडौल होने लगा। उसके नितम्ब उसकी उम्र से भी ज्यादा रफ्तार से बढ़ने लगे। धीरे धीरे उसके नितम्ब उसके शरीर की अपेक्षा काफी बड़े हो गए। इसके चलते लोग उसे देखकर हंसने लगे। ऐसा लगा रहा था जैसे प्रकृति खुद साराह के साथ मजाक करने पर उतारू थी।
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जब अंग्रेज अफसर की साराह पर नजर पड़ी:
उस वक्त दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजो का राज था। भारत की तरह ही दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेज अफसर वहां के मूल निवासियों पर ज़ुल्म ढ़ाया करते थे। ऐसे में एक अंग्रेज अफसर विलियम डनलप की नजर साराह पर पड़ी।
उस समय यूरोप में ऐसे शो काफी प्रचलित थे जिन में अजीबोगरीब और बेडौल अंगो वाले लोगों का प्रदर्शन किया जाता था और लोग टिकट लेकर इन्हे देखने आते थे। विलियम डनलप को लगा कि वह साराह को लंदन ले जाकर ऐसे शो में साराह का प्रदर्शन कर काफी पैसे कमा सकता है। इसलिए वह साराह को लंदन ले गया।
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लंदन में पिकाडली सर्कस में साराह बर्टमैन का पहला शो आयोजित किया गया। देखते ही देखते साराह का शो लंदन में काफी प्रसिद्ध हो गया। यहां तक कि अमीर लोग अपने घरों में उसका निजी प्रदर्शन शो भी आयोजित कराने लगे। जहां मेहमानों को साराह के निजी अंगों को छूने तक की अनुमति थी।
रंगभेद वाले लंदन में साराह का बेडौल शरीर का काफी मजाक बनाया गया। अख़बारों में उसके कार्टून बनाए गए।
पेरिस में शो के दौरान मौत, लेकिन शो नहीं रुका:
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1807 में ब्रिटेन में गुलाम व्यापार को खत्म कर दिया गया। ऐसे में डनलप ने साराह को एक फ्रांसीसी सर्कस वाले को बेच दिया। फ्रांसीसी सर्कस वाला भी उसका ऐसे ही शो में प्रदर्शन करने लगा।
ऐसे ही एक शो के दौरान साराह की स्टेज पर ही मौत हो गई, जबकि उस समय साराह की उम्र सिर्फ 26 साल थी। लेकिन इससे बड़ा मज़ाक किसी के साथ क्या होगा कि उसके मौत के बाद भी शो का कार्यक्रम चलता रहा।
यहां तक कि मरने के बाद भी साराह बर्टमैन के शरीर के साथ फ्रांसीसियों ने जो किया वह ना केवल साराह के साथ बल्कि मानवता के साथ सबसे बड़ा मजाक था, जिसकी वजह से साराह बर्टमैन को दुनिया की सबसे बदनसीब महिला कहा जाने लगा।
मरने के बाद उसके नितंबों और जननांगों को एक जार में फॉर्मलीन भर कर संरक्षित करके एक म्यूजियम में रख दिया गया। इतना ही नहीं उसी म्यूजियम में सारा बर्टमैन के शरीर का प्लास्टर कास्ट भी बनाकर प्रदर्शन हेतु रखा गया।
सोचिए मरने के बाद एक महिला का इस तरह से अपमान पूरे विश्व में कहीं नहीं हुआ होगा।
और 192 साल बाद घर वापसी:
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1994 मे नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने फ्रांस से साराह बर्टमैन के अवशेषों और प्लास्टर कास्ट के प्रत्यर्पण की मांग की। नेल्सन मंडेला के प्रयासों से अंततः फ्रांसीसी सरकार ने मार्च 2002 में साराह बर्टमैन के शरीर के सभी अवशेष और उसके प्लास्टर कास्ट दक्षिण अफ्रीका को सौंप दिए। साराह बर्टमैन को मौत के 192 साल के बाद उसके जन्म स्थान पूर्वी केप प्रांत में राजकीय सम्मान के साथ दफन कर दिया गया।
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साराह बर्टमैन पर हॉलीवुड में बहुत सी फिल्में भी बनी है। फिल्म ब्लैक वीनस और द लाइफ एंड टाइम आफ सारा बर्टमैन काफी प्रसिद्ध हैं।
आज साराह बर्टमैन दक्षिण अफ्रीका ही नहीं बल्कि पूरे अफ्रीका में एक आइकॉन बन चुकी है।
दक्षिण अफ्रीका ने अपने एक जलपोत का नाम उसके नाम पर रखा। 8 दिसंबर 2018 को केपटाउन विश्वविद्यालय ने अपने मेमोरियल हाल का नाम बदलकर सारा बार्टमैन हॉल करने का निर्णय लिया है। इस प्रकार अंततः साराह को अपनी बदनसीबी से छुटकारा मिला।