इंसान के दिमाग में डाले जाएंगे रोबॉट्स, मानसिक बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होंगे

इंसान के दिमाग में डाले जाएंगे रोबॉट्स, मानसिक बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होंगे
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अमेरिका के कैलिफोर्निया की एक कंपनी बायोनॉट लैब्स मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए एक बिल्कुल ही नया कॉन्सेप्ट लेकर आई है। इस कंपनी ने ऐसे माइक्रो रोबॉट्स का निर्माण किया है जिन्हे इन्जेक्शन के जरिए इंसान के शरीर में भेजा जाएगा। इसके बाद चुंबकीय तकनीक का प्रयोग करते हुए इन रोबॉट्स को दिमाग की तरफ भेज जाएगा, जहां से विभिन्न प्रकार की मानसिक बीमारियों से लड़ने का काम करेंगे।

कैसे काम करेंगे ये माइक्रो रोबॉट्स

बायोनॉट लैब्स द्वारा विकसित ये रोबॉट्स दिखने में छोटे मेटल सिलेंडर की तरह हैं। ये पहले से प्रोग्राम किए गए रास्ते का अनुसरण करते हुए मानव शरीर में अपना काम करेंगे।

सबसे पहले इन रोबॉट्स को एक इन्जेक्शन के जरिए मानव शरीर में डाला जाएगा। इसके बाद चुंबकीय तकनीक का प्रयोग करते हुए इन्हे दिमाग की दिशा में निर्देशित किया जाएगा। इसके लिए एक चुंबकीय कॉइल को मरीज के सिर पर स्थापित किया जाएगा जो एक कंप्युटर से जुड़ी होगी।

कंप्युटर की सहायता से इन रोबॉट्स को दिमाग के प्रभावित हिस्से में निर्देशित किया जाएगा, जहां यह विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों को ठीक करने का काम करेंगे। यह पूरा सिस्टम काफी सस्ता होगा। वर्तमान में प्रचलित MRI स्कैन के मुकाबले यह 100 गुण तक कम बिजली की खपत करेगा।

किस तरह की बीमारियों के इलाज में उपयोगी होंगे ये माइक्रो रोबॉट्स

इन माइक्रो रोबॉट्स को बायोनॉट लैब्स ने जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट के साथ मिलकर विकसित किया है। इनका उपयोग विभिन्न प्रकार की ऐसी बीमारियों के इलाज में किया जाएगा जिनका अभी कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। न्यूज एजेंसी AFP की रिपोर्ट के अनुसार माइक्रोरोबोट्स डैंडी-वॉकर सिंड्रोम का इलाज कर सकेंगे। यह एक जन्मजात बीमारी है जिसके चलते दिमाग के अंदर फ्लुइड भरने लगता है और एक गोल्फ बॉल की साइज तक के सिस्ट भी पनपने लगते हैं। इससे मस्तिष्क पर दबाव बढ़ता है और दिमाग और शरीर का संतुलन नहीं बैठ पाता। माइक्रोरोबोट्स दिमाग में कैंसर ट्यूमर्स, एपिलेप्सी, पार्किंसंस डिजीज और स्ट्रोक का इलाज करने के भी कम आ सकेंगे।