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फोटो स्त्रोत: CPEC Info |
2013 में जब CPEC को लेकर चीन और पाकिस्तान के बीच समझौता हुआ था, तब बलोचिस्तान को लेकर बड़ी बड़ी बातें की गई थी। तब कहा जा रहा था कि चीन के इस क्षेत्र में विकास के लिए आने से बलोचिस्तान की कायापलट हो जाएगी और बलोचिस्तान पूर्व में विकास के मामले में एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा। हालांकि चीन और ‘पाकिस्तान की सरकार’ के ये वादे आज सात साल बाद खोखले ही साबित हुए हैं। जो चीन, बलोचिस्तान के लिए विकास का दूत बनकर पाकिस्तान आया था, आज वही चीन बलोचिस्तान को अपनी एक कालोनी में परिवर्तित करता जा रहा है।
CPEC के तहत चीन का यह निवेश आज बलोचिस्तान के लिए एक धीमे जहर की तरह काम कर रहा है, जो बलोचिस्तान की संप्रभुता को धीरे धीरे समाप्त कर रहा है।
बलोचिस्तान के बारे में अगर बात की जाए यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है जो पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 45 प्रतिशत क्षेत्र समाहित करता है। हालांकि जनसंख्या के हिसाब से यह पाकिस्तान का सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है। लेकिन बलोचिस्तान, प्राकृतिक संसाधनों के नजरिए से पाकिस्तान का सबसे अमीर राज्य है और आजादी के बाद से ही पाकिस्तान की नजर बलोचिस्तान के इस खजाने पर लगी थी। बलोचिस्तान, भारत की आजादी तक ‘खान ऑफ कलात’ के अंतर्गत आता था, लेकिन बाद में पाकिस्तान द्वारा यहाँ जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया और तब से पाकिस्तानी सेना के अत्याचार बलोच लोगों पर जारी हैं।
आज बलोचिस्तान की हालत यह है कि यहाँ से पाकिस्तान के कुल राजस्व का सबसे ज्यादा हिस्सा पैदा होता है जबकि इसमे बलोचिस्तान को बहुत थोड़ा स हिस्सा मिलता है। पाकिस्तान में आज तक हुए कुल विकास में बलोचिस्तान का योगदान अगर देखा जाए तो यह 70 प्रतिशत से भी ज्यादा बैठता है। लेकिन अगर केवल बलोचिस्तान की नजर से देखा जाए तो ऐसा लगता है जैसे यह क्षेत्र विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गया है।
CPEC का असर:
CPEC के आने को लेकर बलोचिस्तान के बारे में बड़ी बड़ी बातें की गई थी, लेकिन CPEC बलोचिस्तान के लिए चीन की ईस्ट इंडिया कंपनी साबित हुआ है। आज बलोचिस्तान के संसाधनों पर जहां पाकिस्तान का अवैध कब्जा है तो CPEC के आने के बाद से उसकी सामरिक स्थिति पर चीन का कब्जा होता जा रहा है। वास्तव में चीन द्वारा CPEC के तहत इतने बड़े निवेश के पीछे यही एक मात्र कारण था कि बलोचिस्तान की सामरिक स्थिति चीन को हिन्द महासागर में पहुँचने का रास्ता प्रदान करती है। चीन ग्वादर बंदरगाह के द्वारा आज हिन्द महासागर तक पहुँचने का सपना देखता है ताकि भारत के साथ किसी भी टकराव की स्थिति में भी उसकी हिन्द महासागर में आवाजाही बनी रहे। लेकिन चीन के इस सपने की कीमत आज बलोचिस्तान के लोगों को चुकानी पड़ रही है।
आज CPEC के नाम पर चीन बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर पूरी तरह कब्जा कर चुका है। ग्वादर शहर में चीन की मौजूदगी की आज यह स्थति है कि ग्वादर को चीन की मिनी कालोनी कहा जा सकता है। ग्वादर बंदरगाह के चारों ओर चीनी लोगों को बसाया जा चुका है और उनके क्षेत्रों में बलोच लोगों को आने जाने की सख्त मनाही है। बलोच लोग चीन के क्षेत्रों में प्रवेश ना कर पाए इसकी निगरानी पाकिस्तानी सेना द्वारा की जाती है।
धीरे धीरे चीन के लोगों की मौजूदगी ग्वादर में बढ़ती जा रही है और चीनियों के लिए बनाए गई कॉलोनियों का क्षेत्र भी। और अब हालत यह हो चुके हैं कि बलोचिस्तान में चीन के लोगों को बसाने के लिए बलोच लोगों के गांवों को खाली करवाया जा रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि बलोच इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन उनके विरोध को पाकिस्तानी सेना द्वारा बलपूर्वक दबा दिया जाता है।
पाकिस्तानी सेना द्वारा बलोचिस्तान में नरसंहार:
पाकिस्तानी सेना द्वारा लगातार की गई कार्रवाइयों ने बलोचों को हथियार उठाने पर मजबूर किया और इसके कारण बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी जैसे संगठन अस्तित्व में आए, जो पाकिस्तान सेना के खिलाफ हथियारबंद विद्रोह छेड़े हुए हैं।
इस विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान द्वारा सेना की एक नई डिवीजन स्थापित की गई जो कि बलोचिस्तान में स्थानीय लोगों के विद्रोह को दबाने के लिए समर्पित है। सेना की इस डिवीजन को पाकिस्तान की सरकार द्वारा खुली छूट प्रदान की गई है और इसी कारण यह बलोच लोगों के नरसंहार में सम्मिलित है। आज बलोचिस्तान में स्थिति यह है कि बलोच लोगों को सामूहिक रूप से खड़ा कर के गोली मार दी जाती है। विरोध करने पर बलोच कार्यकर्ताओं को सेना द्वारा उठा लिया जाता है और कुछ समय बाद उनकी लाश सड़कों पर पड़ी मिलती है। पाकिस्तानी सेना के अधिकारी बलोच महिलाओं का सामूहिक बलात्कार करते हैं। कुछ इस तरह की भी रेपोर्ट्स सामने आई हैं कि कुछ बलोच महिलाओं का तब तक बलात्कार किया गया जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो गई।
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करीमा बलोच फोटो स्त्रोत: Organiser |
पिछले दिनों करीमा बलोच की हत्या का उदाहरण आज पूरी दुनिया के सामने है कि किस तरह पाकिस्तानी एजेंसियां बलोचों के नरसंहार में शामिल हैं।
वैश्विक समुदाय की चुप्पी:
बलोचिस्तान की समस्या पर सबसे ज्यादा दुख की बात यह है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा उन पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। ना ही भारत जैसे पड़ोसी देशों द्वारा उनका मुद्दा कभी मजबूती से उठाया गया। जबकि बलोच लगातार भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगते रहें हैं। ऐसा लगता है जैसे चीन के दबाव में दुनिया ने बलोचों के दर्द को नजरंदाज करना सिख लिया है। हालांकि बलोच पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता के प्रति आशान्वित हैं, और उनके नेता उम्मीद करते हैं कि भविष्य में बलोचिस्तान पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त होगा और एक संप्रभु राष्ट्र बनकर वैश्विक पटल पर उभरेगा।