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फोटो स्रोत: Wikimedia |
तिरुपति बालाजी भारत के सबसे रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर स्वरूप को समर्पित है। आंध्रप्रदेश में तिरुमला पहाड़ियों पर ये मंदिर स्थित है। साथ ही उस स्थान को भी मंदिर के नाम पर तिरुपति के नाम से ही जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में ही निवास करते हैं। इसलिए इस मंदिर का महत्व भगवान के भक्तों के लिए बहुत ज्यादा है।
आइए जानते हैं तिरुपति मंदिर के बारे दस रोचक तथ्य:
- तिरुपति मंदिर दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है। वर्तमान में इस मंदिर की संपत्ति लगभग पचास हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। यहाँ प्रातिदीन एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा का दान भक्तों द्वारा किया जाता है।
- कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने श्रीनिवास रूप में अवतार लिया और पद्मावती के रूप में अवतरित माँ लक्ष्मी से विवाह करने के लिए कुबेर से कुछ धन उधार लिया था। तब उन्होंने कुबेर को वचन दिया था कि वे कलियुग के अंत तक उन्हे सारा धन लौटा देंगे। मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तों द्वारा जो कुछ भी चढ़ाया जाता है वह भगवान श्रीनिवास की ओर से कुबेर के खाते में चढ़ जाता है और भगवान का कर्ज उतरता रहता है।
- तिरुमला की पहाड़ियों को भगवान वेंकटेश्वर के नाम से ही वेंकट पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही शेषनाग जैसी आकृति होने के कारण इन पहाड़ियों को शेषांचलम भी कहा जाता है। शेषांचलम में सात पहाड़ियाँ हैं जिनके नाम हैं – शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुडाद्रि, अंजनाद्रि, ऋषभाद्रि, नारायणाद्रि एवं वेंकटाद्रि।
- कहा जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति के बाल असली हैं। ये बाल कभी उलझते नहीं हैं और हमेशा ताजा बने रहते हैं।
- कहते हैं कि भगवान वेंकटेश की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है। भगवान की मूर्ति में हमेशा नमी बनी रहती है।
- मंदिर के मुख्यद्वार पर दाईं ओर एक छड़ी रखी हुई है जिसे अनंताळवारजी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि भगवान के बचपन में उनकी इस छड़ी से पिटाई की गई थी जिसके कारण उनकी ठोड़ी से खून बहने लगा था। तब से ही भगवान की ठोड़ी पर हर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता है, ताकि उनका घाव भर जाए।
- तिरुपति बालाजी मंदिर में एक दीपक हमेशा जलता रहता है। ना तो इस दीपक में कभी तेल डाला जाता है और ना कभी घी। कोई नहीं जनता कि ये दीपक कब व किसने जलाया था। कहते हैं कि ये दीपक हजारों वर्षों से लगातार जल रहा है।
- भगवान बालाजी की मूर्ति गर्भगृह के बिल्कुल मध्य में स्थित है। लेकिन जब आप बाहर से देखते है तो मूर्ति आपको गर्भगृह के दाईं ओर दिखाई देती है।
- भगवान की मूर्ति पर प्रतिदिन पचाई कपूर लगाया जाता है। पचाई कपूर लगाने पर कोई भी पत्थर चटक जाता है लेकिन भगवान की मूर्ति को आज तक कुछ नहीं हुआ।
- भगवान बालाजी के हृदय में माँ लक्ष्मी का निवास है। प्रत्येक गुरुवार को भगवान को चंदन का लेप लगाया जाता है और आश्चर्यजनक रूप से माँ लक्ष्मी की आकृति चंदन के लेप पर उभर आती है। इसीलिए भगवान की प्रतिमा को नीचे धोती और ऊपर साड़ी पहनाई जाती है।
- भगवान के शृंगार और पूजन के लिए फल, फूल, दूध आदि सामग्री मंदिर से 23 किलोमीटर दूर स्थित एक गाँव से आता है। इस गाँव में किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है। इस गाँव में सभी लोग संयम और नियम के साथ रहते है। यहाँ महिलायें सिले हुए वस्त्र नहीं पहनती हैं।