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फोटो स्त्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स |
करीब 20 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा देखा गया सपना अब हकीकत बन गया है। ये सपना था एक ऐसे रास्ते का जो लाहौल स्पीति घाटी को पूरे साल देश से जोड़े रखे। दरअसल बर्फबारी के दिनों में लाहौल स्पीति घाटी छः महीने के लिए बाकी देश से कट जाती है। इससे न केवल घाटी के रहवासियों को समस्या का सामना करना पड़ता था बल्कि अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेना के जवानों को भी रसद और हथियार आदि की आपूर्ति करने में परेशानी आती थी।
तब इन समस्याओं के समाधान के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक टनल बनाए जाने की योजना बनाई थी। तब से लेकर अब तक इस टनल पर काम चल रहा था और इस साल 3 अक्तूबर को इस टनल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित कर दिया।
आइए जानते है अटल टनल की विशेषताओं के बारे में:
- अटल बिहारी सरकार ने 3 जून 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस टनल का निर्माण कराने का निर्णय लिया।
- 26 मई 2002 को टनल के दक्षिणी हिस्से पर संपर्क मार्ग की आधार शिला रखी गई।
- दिसंबर 2019 में मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में टनल का नाम अटल टनल रखा। पहले इसका नाम रोहतांग टनल रखा जाना था।
- टनल के निर्माण में 3200 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
- टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है जो घोड़े के नाल के आकार में बनी है। इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन ने किया है।
- टनल के उत्तरी हिस्से की समुद्र तल से ऊंचाई 3071 मीटर है जबकि दक्षिणी हिस्से की ऊंचाई 3060 मीटर है।
- उत्तरी हिस्सा लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गाँव के पास है जबकि दक्षिणी हिस्सा मनाली से 25 किलोमीटर दूर स्थित है।
- टनल में दो लेन की आठ मीटर चौड़ी सड़क है। टनल की चौड़ाई 10.5 मीटर और ऊंचाई 5.5 मीटर है।
- टनल को प्रतिदिन 1500 ट्रक और 3000 कारों को संभालने के लिए बनाया गया है, जो 80 किमी/घंटा की रफ्तार पर सफर कर सकेंगे।
- टनल के बन जाने से मनाली और लेह की दूरी 46 किलोमीटर काम हो जाएगी जबकि सफर में लगने वाला समय 4 से 5 घंटे कम हो जाएगा।
- टनल में अग्निशमन, रोशनी और निगरानी के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति में 3.6 x 2.25 मीटर का फायर प्रूफ निकास टनल भी बनाया गया है, जो मुख्य टनल में ही स्थित है।
- टनल में वेंटिलेशन के लिए सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया है।
- आपातकालीन कम्युनिकेशन के लिए हर 150 मीटर पर एक टेलीफोन की सुविधा दी गई है।
- हर 60 मीटर की दूरी पर सीसीटीवी कैमरे और फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगाया गया है। ये कैमरे स्वचालित रूप से किसी भी घटना का पता लगाने और नियंत्रण कक्ष को सूचित करने में सक्षम हैं।
- सीमा सड़क संगठन ने इस टनल के निर्माण में जी तोड़ मेहनत की है। सेरी नाला फाल्ट जोन के 587 मीटर क्षेत्र में निर्माण करना सबसे चुनौतीपूर्ण था, जिसे 15 अक्तूबर 2017 को पूरा किया गया।
- टनल का 40 प्रतिशत निर्माण पिछले दो सालों में पूरा किया गया। चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए इसके काम में तेजी लाई गई।
- टनल के दोनों द्वारों पर बैरियर लगाए गए हैं। पूरी टनल ब्रोडकास्टिंग सिस्टम से लैस है, साथ ही टनल में 4G मोबाईल इंटरनेट सुविधा देने की भी तैयारी है।
- पहले इस सुरंग का टनल का नाम रोहतांग टनल रखा जाना था लेकिन बाद में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में इसका नाम अटल टनल किया गया।