जानिए क्यों: कबाड़ बन जाएगा भारतीय नौसेना की शान रहा आईएनएस विराट?

करीब 30 साल तक भारतीय नौसेना की शान रहा युद्धपोत आईएनएस विराट आखिरकार कबाड़ में बेच दिया गया। भारतीय नौसेना से सेवानिवृत हुआ यह विमानवाहक पोत शनिवार को अपनी अंतिम यात्रा के लिए मुंबई से गुजरात के अलंग स्थित दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड ले जाया जा रहा है। यहाँ इसे तोड़ा जाएगा। आईएनएस विराट को 6 मार्च 2017 को नौसेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया था। 226 मीटर लंबे इस जहाज ने भारतीय नौसेना से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में भी 25 साल तक अपनी सेवाएं दी थी। वहाँ इसे एचएमएस हर्मीस के नाम से जाना जाता था। 

कबाड़ बन जाएगा भारतीय नौसेना की शान रहा आईएनएस विराट
फोटो स्रोत: विकीपीडिया 

1984 में रॉयल नेवी से रिटायर होने के बाद इसे भारतीय नौसेना ने खरीद लिया और 1987 में आईएनएस विराट के नाम से नौसेना में शामिल किया। तब से ही यह भारतीय समुद्री सीमाओं की रक्षा में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। 
इससे पहले आईएनएस विराट को एक मैरीटाइम म्यूजियम में बदलने की योजना थी, हालांकि यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। नवंबर 2018 में महाराष्ट्र की फड़नवीस सरकार ने विराट को म्यूजियम बनाने के लिए 852 करोड़ रुपये भी मंजूर किये थे। यह म्यूजियम महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में स्थित सिंधुदुर्ग में बनाया जाना था, ताकि गोवा जाने वाले पर्यटक भी यहाँ तक आसानी से पहुँच सके। इसके बाद 2019 में महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड ने भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तौर पर इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास किया। हालांकि ये दोनों ही योजनाएं सफल नहीं हो सकी। अगर ऐसा हो पता तो ये एशिया का पहला मैरीटाइम म्यूजियम होता। 
म्यूजियम बनाने की योजनाएं असफल होने के बाद विराट को कबाड़ में बेचने का निर्णय ले लिया गया और मेटल स्क्रैप ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन के जरिए कबाड़ के भाव बेचने की प्रक्रिया शुरू की गई। अब इसे गुजरात के श्रीराम ग्रुप ने मात्र 38 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। 

गौरवपूर्ण है इतिहास: 

आईएनएस विराट का इतिहास बेहद गौरवपूर्ण रहा है। भारतीय नौसेना में शामिल होने से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में एचएमएस हर्मीस के रूप में इसने फॉकलैंड युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ब्रिटिश राजघराने के प्रिंस चार्ल्स ने नौसेना अधिकारी के रूप में अपनी ट्रेनिंग इसी युद्धपोत पर पूरी की थी। भारतीय नौसेना का हिस्सा बनने के बाद विराट की पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन पराक्रम और श्रीलंका में भारत की शांति सेना में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
 

विराट से पहले विक्रांत का भी यही हश्र हुआ था: 

गौरतलब है कि आईएनएस विराट से पहले भारत के दूसरे विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को भी कबाड़ में बेच दिया गया था। विक्रांत को भी पहले मैरीटाइम म्यूजियम बनाने के प्रयास किये गए थे, हालांकि सभी प्रयास असफल रहने के बाद विक्रांत को भी कबाड़ में बेच दिया गया।